Friday, September 9, 2016

जँहा चाह, वहां राह

गर्मिय के दिन थे। एक कौआ बहूत प्यासा था। उसका गला सूख रहा था।
वह ईधर-उधर उड़ना हुआ पानी कि तलाश कर रहा था।
अंत में

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